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सुरभित आसव मधुरालय का 13

*मधुरालय*
              *सुरभित आसव मधुरालय का*13
यह आसव मधुरालय वाला,
हृद अति हर्षाने वाला।
इसकी पद्धति ने ही जग को-
जीवन-कला सिखाई है।।
     मधुर मधुरिमा आसव वाली,
     सबको राह दिखाती है।
     विश्व-पटल के इस कोने से-
     उस कोने तक छाई है।।
जब भी औषधि काम न करती,
नहीं रोग को दूर करे।
देकर शरण इसी आसव ने-
मुरली मधुर बजाई है।।
      यमुन-पुलिन यह कृष्ण-बाँसुरी,
      राधा-रुक्मिणि-लाज-हया।
      कौरव-कंस-दुशासन-घालक-
      लंक में आग लगाई है।।
गीता-ज्ञान,वेद-मंत्र यह,
गुरु पुराण-श्रुति-चिंतन है।
अति प्राचीन-रुचिर रस-धारा-
जीवन-तत्त्व-पढ़ाई है।।
      सर्व धर्म-सम्मान-भावना,
      सब जन का हितकारी यह।
      रखे नहीं यह बैर किसी से-
      प्रेम-भाव-नरमाई है।।
सकल विश्व,यह धरती,अंबर,
सर-सरिता जो सिंधु महान।
सब में आसव,सब आसव में-
आसव जग गुरुताई है।।
     उद्धारक यह और सुधारक,
     यह तो कष्ट-निवारक है।
     सकल ज्ञान की कुंजी आसव-
     कुंजी गंग नहाई है।।
समिधा-हवन-कुंड यह आसव,
पावक पाप-जलावन यह।
वायु, व्योम में सतत प्रवाहित-
हवा शुद्ध पुरुवाई है।।
     सकल मंत्र अभिमंत्रित आसव,
     आसव मंत्र-कोष अक्षुण्ण।
     अमिय-बूँद यह झर-झर झरती-
      दुनिया पी हर्षाई है।।
शुद्ध हृदय जो पूण्य आत्मा,
उन्हीं को आसव सदा मिले।
पापी-कपटी-कलुषित हृदयी-
की भ्रम-जाल फँसाई है।।
    मधुर वचन मन शीतल करती,
   करता यह सिद्धांत अमल।
   हृदय-कालिमा,दूषित वाचा-
   इसको रास न आई है।।
भोगी कर स्नान अमल नित,
इस आसव की सरिता में।
भोग-वासना मय माया से-
करता ध्रुव विलगाई है।।
    आसव अमृत धरा-धाम का,
    जीवन को पावन करता।
    भले न मानव रहे जगत में-
     रहती तासु बड़ाई है।।
                ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                 9919446372

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3 Comments

Gunjan Kamal

02-Feb-2024 04:30 PM

👏👌

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Mohammed urooj khan

31-Jan-2024 11:41 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

31-Jan-2024 04:53 PM

Nice

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